पथ पर आगे बढ़ना होगा-05-Oct-2023
पथ पर आगे बढ़ना होगा
चलें आंधियां चाहे जितना
धुसित कर दे सभी दिशाएं
पिघल चले अंगारे पथ पर
उठे ज्वालाएं धू-धू नभ में
फिर भी हमको चलना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
हंस हंस कर भी रोकर भी
सब अपमानों को सह कर भी
हार हार को जीत समझ कर
लक्ष्य साध अपने ही मन में
प्रगति पर पग रखना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
अंधकार को चीर निकल कर
साथ उजालों के भी चलकर
हो दलदल या नीर धार हो
खड़ा सामने या पहाड़ हो
हिम्मत कस कर चलना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
सम्मुख फैला दुख का सागर
उठे थपेड़े ऊंचे - ऊंचे
अरमानों से टकराए जो,
पीड़ाओं से मुखरित होकर
जीवन अर्पित करना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
बहे गमों की तेज हवाएं
फैल फैल कर सभी दिशाएं
ऊपर से दुख के कंकड़ जो
अंतर्मन में घाव कुरेदे
इनसे भी तो लड़ना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
मिला किसे क्या पछताने से
या घुट घुट कर मर जाने से
अच्छा है कुछ कर जाएं हम
कुछ करने के खातिर हमको
सूरज सा बन जलना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
कभी कहीं कुछ ऐसै होंगे
द्वन्द्व भरे भावों से सज्जित
पैर खींचने को आएंगे
आगे चलने से पहले ही
समझ समझ कर चलना होगा,
पथ पर आगे बढ़ना होगा।
रचनाकार
रामबृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
Abhinav ji
06-Oct-2023 08:08 AM
Nice
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Punam verma
06-Oct-2023 07:37 AM
Very nice
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